वायरल शायरी : प्यास मेरी बुझा दे तो तुझे मानूं मैं...
मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है
जिद्द तो उसकी है जो मुक़द्दर में लिखा ही नहीं है
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
तूफ़ानों में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
शाम सूरज को ढलना सिखाती है
शमा परवाने को जलना सिखाती है
प्यास मेरी बुझा दे तो तुझे मानूं मैं
वरना तू समंदर भी हो तो मेरे किस काम का
इश्क़ की गहराइयों में खूबसूरत क्या है
मैं हूं, तुम हो और किसी की जरूरत क्या है
हम ख़्वाहिश-ए-दीदार-ए- माहताब रखते हैं
आप हैं के रुख पे नकाब रखते हैं
ज़िंदगी ने सवालात बदल डाले
वक़्त ने हालात बदल डाले
हम तो आज भी वहीं हैं जो कल थे
बस लोगों ने अपने ख़्यालात बदल डाले
अफ़्सोस तो है तेरे बदल जाने का मगर
तेरी कुछ बातों ने मुझे जीना सिखा दिया
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आंखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
हमें कहां मालूम था कि इश्क़ होता क्या है
बस, एक तुम मिले और ज़िंदगी मुहब्बत बन गई